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ईडी ने डीएमएफ पर कसा शिकंजा, जिलों से 7 साल का ब्यौरा मांगा

रायपुर। ईडी ने प्रदेश के डीएमएफ के खर्चों की पड़ताल शुरू कर दी है। बताया गया कि ईडी ने सभी जिलों से पिछले सात साल के खर्चों का ब्यौरा मांगा है। कहा जा रहा है कि ईडी कुछ सप्लायरों से पूछताछ भी कर सकती है। ईडी ने कुछ माह पहले कोरबा, और रायगढ़ कलेक्टोरेट में दबिश दी थी। अब डीएमएफ के खर्चों पर ध्यान केन्द्रित किया है। ईडी ने राजनांदगांव में कुछ दिन पहले आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे के यहां दबिश दी थी। दुबे कोरबा में भी रह चुके हैं। उनसे पूछताछ के बाद जांच को आगे बढ़ाया है। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने सभी जिलों से वर्ष-2016 से अब तक डीएमएफ के तमाम खर्चों की जानकारी बुलाई है। यह पूछा है कि डीएमएम से क्या-क्या काम हुए? किन चीजों खरीदी हुई?
किन-किन एजेंसियों काम कराया गया? ठेकेदार, अथवा सप्लायरों के नाम व पेन नंबर तक की जानकारी मांगी गई है। बताया गया कि डीएमएफ में विशेषकर अस्पतालों, और स्कूलों में काफी सप्लाई हुई है। भाजपा शासनकाल में भी सप्लाई आदि के काम हुए थे। कीटनाशक और अन्य दवाईयां भी डीएमएफ से खरीदे गए। दंतेवाड़ा, कोरबा, और रायगढ़ जिले में डीएमएफ सबसे ज्यादा है। डीएमएफ से सबसे ज्यादा काम भी तीनों जिलों में हुए हैं। विधानसभा में भी कोण्डागांव जिले में डीएमएफ में गड़बड़ी का मामला उठा था। चर्चा है कि ईडी ने पूर्व कलेक्टर रानू साहू से पूछताछ के बाद काफी कुछ जानकारी जुटाई है। इसके बाद जांच का दायरा आगे बढ़ाया गया है, और ईडी ने डीएमएफ के अब तक के सारे खर्चों की पड़ताल शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि ईडी पहले कोयला, और शराब केस की जांच कर रही है। दो प्रकरणों मे ईडी एक दर्जन से अधिक अफसर, कारोबारी, और अन्य लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है। हल्ला है कि आने वाले दिनों में ईडी कार्रवाई और तेज कर सकती है।
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