छत्तीसगढ़

ब्लू इयर्ड किंगफिशर का इंद्रावती टाइगर रिजर्व में दुर्लभ दर्शन

जगदलपुर। म्यांमार से वेस्टर्न घाट तक पाया जाने वाला दुर्लभ ब्लू इयर्ड किंगफिशर बस्तर के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में देखा गया है। यह इलाका इस पक्षी का अस्थायी ठिकाना होता है। बर्ड एक्सपर्ट सूरज नायर ने इस अनोखे पक्षी को कैमरे में कैद किया है, जो राज्य में पहली बार हुआ है।

सूरज नायर ने बताया कि 2018 में पहली बार इंद्रावती टाइगर रिजर्व में इस पक्षी को देखा गया था, लेकिन तब इसे कैमरे में कैद नहीं किया जा सका था। इस वर्ष 2024 में इस पक्षी का फिर से आगमन हुआ, और इस बार इसे कैमरे में सफलतापूर्वक कैद कर लिया गया। इस उपलब्धि के लिए सूरज को कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

ब्लू इयर्ड किंगफिशर की विशेषताएं
यह छोटा, गहरे नीले रंग का किंगफिशर पक्षी अपनी विशेषताओं के कारण पहचाना जाता है। इसके कान के पास रूफस नहीं होता है, आंख के सामने नारंगी धब्बा होता है और गर्दन के किनारों पर सफेद कान के गुच्छे होते हैं। इसके सिर और गर्दन पर गहरे नीले रंग की पट्टियां होती हैं, जो इसे पपड़ीदार रूप देती हैं। इसके ऊपरी हिस्से में चमकदार गहरा नीला रंग होता है और पीछे की तरफ हल्के नीले रंग का केंद्रीय बैंड होता है। इसके निचले हिस्से का रंग गहरा नारंगी होता है। नर की चोंच भूरे-लाल आधार के साथ काली होती है, जबकि मादा की चोंच लगभग पूरी तरह लाल होती है।

पक्षी का स्थान
ब्लू इयर्ड किंगफिशर को इंद्रावती टाइगर रिजर्व के मद्देड़ बफर के मिन्नूर गांव में 18.771, 80.477 जीपीएस लोकेटर पर देखा गया है। यह प्रजाति आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय नम तराई के जंगलों, मैंग्रोव जंगलों, आर्द्रभूमियों, नदियों, नालों और खाड़ियों में पाई जाती है। ये पक्षी 0 से 1000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। यह पक्षी भारत, चीन, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई, इंडोनेशिया और फिलीपींस में विचरण करता है।

आगे की कार्यवाही

इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर के उप निदेशक संदीप बलगा ने बताया कि म्यांमार का ब्लू इयर्ड किंगफिशर पक्षी रिजर्व में कैसे आया, इसका पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने पक्षी विशेषज्ञ को निर्देश दिया है कि इस पक्षी की उत्पत्ति और गंतव्य के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

इस दुर्लभ पक्षी के दर्शन और उसके कैमरे में कैद होने से वन्यजीव प्रेमियों और वैज्ञानिकों के बीच उत्साह है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व में जैव विविधता को संजोने की क्षमता है और इसे संरक्षित करने के लिए और भी प्रयास किए जाने चाहिए।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button