छत्तीसगढ़

जय हो सरकार… वर्दी का रौब कम पड़ा जो निजी गाड़ी में नीली बत्ती चिपका कर घूम रहे थानेदार

कोरबा। यूं तो अपनी गाड़ी पर लाल-पीली बत्ती लगवाने की ख्वाहिश हर किसी को होती है। पर उसके लिए वैसा ओहदा भी हासिल होना चाहिए। कम से कम थ्री-स्टार इंस्पेक्टर के रैंक से नीली बत्ती का अधिकार शुरू होता है। जब तक किसी तीन स्टार को थाना-चौकी का प्रभार न हो, नीली बत्ती नसीब नहीं हो सकती। उस पर भी पुलिस लिखवाने या छत पर नीली बत्ती सजाने के लिए सरकारी वाहन होना चाहिए। पर यहां रंग ही कुछ और है, जहां थानेदार साहब को वर्दी का रौब कम लगा तो निजी गाड़ी में ही नीली बत्ती चिपकाकर घूम रहे हैं।यहां शायद वह कहावत फिट बैठे कि जब साइयां भए कोतवाल तब डर काहे का…

नीली बत्ती के शौकीन बने ये थानेदार कोई और नहीं, सिविल लाइन थाना हैं, जिन्होंने अपनी सफेद एसयूवी की छत में इसे बड़े शान से सजा रखा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि संवैधानिक पदों पर बैठे बड़े ओहदेदारों को छोड़ दें, तो राजपत्रित अधिकारी लॉ एंड ऑर्डर की रक्षा के लिए, एम्बुलेंस सेवा जैसे अतिआवश्यक आपात कर्तव्यों के लिए भी सायरन और बत्ती का उपयोग कर सकते हैं।आईपीएस, एसडीओपी या सिटी एसपी के अलावा इंस्पेक्टर रैंक को भी सुरक्षा व लोकसेवा की दृष्टि से अधिकार दिया जाता है, पर कम से कम उसे किसी थाना या चौकी का प्रभार हो और उसके पास पुलिस की सरकारी गाड़ी भी हो। अपने निजी वाहन में नीली बत्ती लगवाना, पुलिस लिखवाना या हूटर-सायरन का इस्तेमाल ट्रैफिक नियमों के अनुसार गलत है, दंडनीय है। आम नागरिकों को कानून और नियमों पर चलने की सीख सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभा रहे अफसर ही रूल तोड़े, तो उन्हें सबक भला कौन सिखाए।

एक्सपर्ट ने कहा- मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन

जिले के ख्यातिलब्ध अधिवक्ता सत्यव्रत उपाध्याय का कहना है कि थाना प्रभारी को नीली बत्ती लगाने का अधिकार है, लेकिन अपने विभागीय वाहन में। अगर वे अपनी व्यक्तिगत गाड़ी में नीली बत्ती लगाकर घूम रहे हैं, तो नियमविरुद्ध है। निजी वाहन में तो पुलिस भी नहीं लिखा जा सकता। मोटर व्हीकल एक्ट में इसका प्रावधान है, कि पुलिस प्रेस डॉक्टर या वकील कुछ नहीं लिखा सकते। वे व्यक्तिगत वाहन में नीली बत्ती का उपयोग नहीं कर सकते और ऐसा करने पर यह मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन है। एक्ट में जो धाराएं हैं, वह उन पर भी अधिरोपित होती हैं। पुलिस है तो क्या हुआ, जो दंड एक सामान्य व्यक्ति को मिलता है, वही दंड इनको भी मिलना चाहिए।

यहां जानिए, वे गणमान्य व्यक्ति जो फ्लैशर के साथ लाल बत्ती का उपयोग करने अधिकृत हैं
0 भारत के राष्ट्रपति और राज्यपाल।
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इन्हें बिना फ्लैशर के लाल बत्ती का उपयोग का अधिकार

(ए) प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री

(बी) सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

(सी) अध्यक्ष, संसद विधान सभा के

(डी) कैबिनेट मंत्री

(ई) संसद के विपक्ष के नेता और विधान सभा के विपक्ष के नेता

(एफ) अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, योजना आयोग और राज्य योजना बोर्ड

(छ) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश

(ज) राज्य मंत्री/उप मंत्री

(जे) संसद और विधान सभा के उपाध्यक्ष

(के) राज्यों के महाधिवक्ता।

(एल) कैबिनेट सचिव और राज्यों के मुख्य सचिव

(एम) पुलिस महानिदेशक, भारतीय सेना में ब्रिगेडियर और उससे ऊपर और वायु सेना और नौसेना में समकक्ष।

(एन) संवैधानिक निकाय के अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी सदस्य।

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0 नीली या एम्बर बत्ती का उपयोग करने के लिए अधिकृत आधिकारिक वाहन

(ए) मरीज़ों को ले जाने वाली एम्बुलेंस

(बी) अग्निशमन आपातकालीन सेवा विभाग द्वारा उपयोग की जाने वाली फायर टेंडर

(सी) आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बचाव कार्य हेतु प्रयुक्त वाहन

(डी) नागरिक/रक्षा विभागों की बचाव वैन।

(ई) कानून और व्यवस्था कर्तव्यों और/या पुलिस के एस्कॉर्ट के रूप में उपयोग किए जाने वाले वाहन। (गणमान्य व्यक्तियों के साथ न आने की स्थिति में लाल बत्ती को काले कवर से ढक दिया जाएगा)

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