विशेष लेख:आज से 11वें दिन भक्त को भगवान से जोड़ने वाली रामसेतु में तब्दील होगी अयोध्याजी
भव्य मंदिर में 22 जनवरी को विराजेंगे श्रीराम, दिव्य चरणों के दर्शन पाने अवध की ओर चल पड़े हैं करोड़ों पांव

कोरबा। श्रीराम के गृहप्रवेश की घड़ी नजदीक आ रही है। आज से ठीक 11वें दिन अपने प्रियभक्त हनुमानजी, माता सीता और भैया लक्ष्मण को लेकर प्रभु श्रीराम पधारेंगे। उनकी प्रतीक्षा में समस्त धरातल के असंख्य सजल नेत्र और समस्त ब्रह्माण्ड के 33 करोड़ देवी देवता भी अपलक निहार रहे हैं और अपने द्वार पर खडे़ उस क्षण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब रामलला वहां पुनः विराजमान होंगे, जहां उन्होंने पवित्र भारतभूमि में अपने दिव्य चरण पहली बार रखे थे। श्री राम के ननिहाल से होने के नाते आप और हम ही नहीं, ऊर्जानगरी कोरबा व सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ भी भारतवर्ष की विश्वविरासत में जुड़ने जा रहे नवीनतम इतिहास और इस अद्वितीय क्षण के साक्षी बनने ललाइत है। मकर संक्रांति से शुरू हो रहे उत्सवों के शुभारंभ से श्रीराम के विवाहोत्सव तक राम की नगरी अयोध्या वर्ष भर अपने भक्तों उनके भगवान से जोड़ने रखने वाली रामसेतू के रूप में पहचानी जाएगी।
अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनकर तैयार है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा आज से 11 दिन बाद यानी 22 जनवरी को होनी है। इस शुभ दिन के स्वागत के लिए श्री राम की नगरी अयोध्या पहले ही दुल्हन की तरह सजाई गई है। जहां पिछले साल दीपोत्सव में राम की पैड़ी पर 21 लाख से ज्यादा दीपक जगमगाए और एक विश्व रिकॉर्ड बना। अब 22 जनवरी के ऐतिहासिक दिवस पर महान कीर्तिमान स्थापित करने का इंतजार पूरे भारतवर्ष को है। सप्तपुरियों में श्रेष्ठ व सनातन संस्कृति का प्रधान केंद्र अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने के साथ-साथ विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में भी स्थापित होने जा रही है। धर्म, ज्ञान व उत्सव के शहर के रूप में विश्वभर में अयोध्या की पहचान हो, ऐसी कई योजनाओं पर रामनगरी में तेजी से काम चल रहा है। रामनगरी पर्यटकों व श्रद्धालुओं के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से युक्त होगी। 14 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति से उत्सवों की ऐसी श्रृंखला प्रारंभ होगी, जो फरवरी में मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, मार्च में महाशिवरात्रि, रंगभरी एकादशी, होली, अप्रैल में श्रीरामनवमी, मई में बुद्ध पूर्णिमा, जानकी नवमी, जून में गंगा दशहरा, सरयू जयंती, जुलाई में जगन्नाथ रथयात्रा, गुरू पूर्णिमा, अगस्त में झूलन उत्सव, नाग पंचमी, कृष्ण जन्माष्टमी, संत तुलसीदास जयंती, अक्तूबर में शरद पूर्णिमा, नवरात्र, विजय दशमी, नवंबर में कार्तिक परिक्रमा, दशहरा, दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा स्नान, दिसंबर- श्रीराम विवाहोत्सव तक पर्व-त्योहारों का दौर पूरे वर्षभर अयोध्या को भक्त से भगवान से जोड़े रखेगा।
प्रभु के ननिहाल छग में उल्लास चरम पर: मंत्री लखनलाल
अयोध्या में चल रही श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच प्रभु श्रीराम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में भी उल्लास चरम पर है। प्रदेश के वाणिज्य, उद्योग एवं श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने कहा कि हमारा सौभाग्य है जो हमारा छत्तीसगढ़ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का ननिहाल है। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर छत्तीसगढ़ में उत्सव का वातावरण रहेगा। इस दिन घरों में दीपावली की तरह दीप भी प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी 22 जनवरी को प्रदेश वासियों को अपने घरों को दीपावली की तरह स्वच्छ करके भगवान श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करते हुए दीपक जलाने का आहवान किया है। श्री देवांगन ने कोरबा से समस्त ऊर्जावासियों से आग्रह किया है कि वे 22 जनवरी को दीपोत्सव के रूप में मनाएं और इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। राम राज्य की स्थापना के ध्येय में भागीदार बनें।
माता जानकी का मायका जनकपुर और सारा नेपाल भी उत्सव को तैयार
अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा की तैयारी जितनी वृहद व्यवस्था से की जा रही है, उतनी ही श्रद्धा से माता जानकी के मायके में भी रामउत्सव की तैयारी की जा रही है। पूरे मिथिला अंचल के लोग जानकी और उनके पति प्रभु श्रीराम की 22 जनवरी 2024 को विशेष पूजा अर्चना करना चाहते हैं। उसी दिन अयोध्या में श्रीराम के मंदिर का अनावरण होगा। नेपाल और भारत दोनों तरफ के भक्त माता जानकी का मायका होने का दावा करते हैं और अनुष्ठान करते हैं।
पारंपरिक नागर शैली के स्वदेशी वास्तु सिद्धातों पर भव्य मंदिर
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है, जो एक घुमावदार शिखर (शिखर), एक गर्भगृह, जो एक चलने योग्य पथ से घिरा हुआ है। नागर वास्तुकला उत्तर भारत में उत्पन्न मंदिर वास्तुकला की एक शैली है। श्री राम जन्मभूमि मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। राम मंदिर मंदिरों में ऊंचे पिरामिडनुमा शिखर होते हैं, जिनके शीर्ष पर एक कलश होता है। मंदिरों के स्तंभों पर जटिल डिजाइन उकेरे गए हैं और दीवारों को मूर्तियों और नक्काशी से सजाया गया है। मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारत की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है। मंदिर का सबसे भीतरी हिस्सा गर्भगृह है, जहां देवता स्थापित हैं। मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम का बचपन का स्वरूप (श्री राम लल्ला की मूर्ति) है और पहली मंजिल पर श्री राम दरबार होगा। श्री राम जन्मभूमि मंदिर में चार कोने हैं जो सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित हैं। उत्तरी भुजा में माताअन्नपूर्णा का मंदिर है और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है।
पूरब से प्रवेश, ईको फ्रेंडली परिक्षेत्र, 70 प्रतिशत ओक्सीजोन
इसका निर्माण पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए किया जा रहा है और 70 एकड़ क्षेत्र के 70 प्रतिशत हिस्से को हरा-भरा रखा गया है। राम मंदिर तीन मंजिला है, जिसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है। इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं। राम मंदिर में खंभों और दीवारों पर देवी, देवता और देवियां सुशोभित हैं। राम मंदिर में पूर्व से प्रवेश है, सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियाँ चढ़नी हैं, साथ ही दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए टैंप और लिफ्ट की व्यवस्था है। मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) की 14 मीटर मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है।