
बिलासपुर—रायपुर स्थित प्रवर्तन निदेशालय ने 24 जुलाई को प्रदेश के सभी जिला कार्यालयों को पत्र जारी कर डीएमएफ का हिसाब किताब मांगा था। सभी कलेक्टर प्रशसन को डीएमएफ का हिसाब कितान 4 अगस्त तक देना था। पत्र में ईडी की टीम ने जिलों में डीएमएफ फण्ड की जानकारी के अलावा…फण्ड से किए गए कार्यों समेत काम करने वाली एंजेसी की जानकारी दिए जाने को कहा है। जानकारी देते चलें कि मामले में ईडी ने विभाग के आयुक्त को पहले पत्र जारी किया था। डायरेक्टोरेट ने प्रदेश के सभी जिला प्रमुखों को पत्र जारी कर डीएमएफ फण्ड का हिसाब किताब मांगा है।
ई़डी ने जुलाई महीने में एक पत्र जारी कर माइनिंग विभाग आयुक्त से फण्ड के आय व्यय और निर्माण कार्यों की जानकारी देने को कहा। मामले में रायपुर स्थित संचालनालय ने प्रदेश के सभी जिला प्रमुखों यानि कलेक्टर को पत्र जारी कर ईडी की तरफ से मांगी गयी जानकारी देने को कहा। कोरबा प्रशासन ने पत्र का जवाब भेज दिया है। सूत्रों की माने तो बिलासपुर जिला प्रशासन ने अभी तक डीएमएफ फण्ड का हिसाब किताब नहीं दिया है। जबकि जवाब 4 अगस्त तक भेजना था। जानकारी तैयारी नहीं होे के कारण शुक्ववार को जिला कार्यालय में तनाव की स्थिति देखने को मिली।
बताते चलें कि प्रदेश के प्रत्येक जिलों में कलेक्टर डीएमएफ फण्ड का चेयरमैन होता है। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी न्यास परिषद का मनोनित सचिव होता है। परिषद में स्थानीय सांसद के अलावा जिले के सभी विधायक और निर्माण एजेंसी के विभागीय प्रमुख सदस्य होते हैं। जनप्रतिनिधियों की मांग पर विकास कार्यों में परिषद के अनुमोदन के बाद कलेक्टर राशि जारी करता है।फिर विकास कार्यों को गति मिलती है।