
इसरो ने शनिवार को शिव-शक्ति पॉइंट (चांद पर लैंडर जिस जगह उतरा) पर घूम रहे प्रज्ञान रोवर का दूसरा वीडियो शेयर किया है। इससे पहले इसरो ने 25 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर से बाहर निकलते हुए प्रज्ञान रोवर का वीडियो शेयर किया था। लैंडर 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरा था।
इसरो ने बताया कि प्रज्ञान रोवर अगले 11 दिनों में लैंडर के आसपास आधा किमी घूमेगा। ये एक सेमी प्रति सेकेंड की गति से चलता है और अपने आस-पास की चीजों को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल कर रहा है। इसरो अब तक मून मिशन की 10 फोटो और 4 वीडियो शेयर कर चुका है।
इन फोटो-वीडियो को नए से पुराने के क्रम में देखिए…
26 अगस्त: चांद की सतह पर चलता दिखा प्रज्ञान रोवर
चांद पर लैंडर जिस जगह उतरा उसके आस-पास रोवर चक्कर लगा रहा है। लैंडिंग चांद के साउथ पोल पर हुई है। दरअसल, चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में पानी अभी भी मौजूद हो सकता है।

25 अगस्त : रोवर के बाहर आने का वीडियो, चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ी
प्रज्ञान रोवर के पीछे के दो पहियों पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो के इंडेंट हैं। जैसे ही रोवर चंद्रमा पर उतरा तो उसके पहियों ने चांद की मिट्टी पर इन प्रतीकों की छाप छोड़ी।


25 अगस्त : विक्रम लैंडर का रैंप का वीडियो शेयर किया
इसरो ने रोवर के बाहर आने से पहले विक्रम लैंडर के रैंप का वीडियो शेयर किया था। इसी से रोवर नीचे उतरा। चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्से है। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। इन पर कुल 7 पेलोड लगे हैं। एक पेलोड जिसका नाम शेप है वो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है।
वहीं लैंडर पर तीन पेलोड लगे हैं। रंभा, चास्टे और इल्सा। प्रज्ञान पर दो पेलोड हैं। एक इंस्ट्रूमेंट अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का भी है जिसका नाम है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अरे। ये चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगा हुआ है। ये चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी मापने के काम आता है।

24 अगस्त : लैंडिंग का वीडियो
चंद्रयान-3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 23 जुलाई को चंद्रयान-3 के लैंडर की चांद की सतह पर लैंडिंग हुई। यानी इसे धरती से चांद तक पहुंचने में 41 दिन लगे। 24 जुलाई को जारी हुए इस वीडियो में चांद की सतह पर शुरुआत में लहरों जैसा नजारा दिखा, पास पहुंचते ही वहां काफी सारे बड़े और छोटे गड्ढे नजर आए।

21 अगस्त : चांद पर यान के लैंडिंग पॉइंट की तस्वीर शेयर की
चंद्रयान-3 ने लॉन्च होने के 41वें दिन चंद्रमा पर लैंडिंग की। भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश है। लैंडिंग से 2 दिन पहले चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल की कुछ तस्वीरें जारी की थीं। ये तस्वीरें सेफ लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए ली गई थीं।

17 अगस्त : प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अलग हुए थे, दूसरी बार चांद की फोटो भेजी थी
17 अगस्त को दोपहर 1:15 बजे चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग कर दिया गया था। इसरो ने बताया कि था कि सेपरेशन के बाद विक्रम लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- थैक्स फॉर द राइड मेट। इस दौरान लैंडर पर लगे कैमरे ने चंद्रमा की भी तस्वीरें खींचीं थीं।

5 अगस्त : चंद्रमा की कक्षा में पहुंचते ही चंद्रयान-3 ने चांद की पहली फोटो भेजी थी
लॉन्चिंग से 22 दिन के बाद यानी 5 अगस्त को चंद्रयान-3 जब चांद की कक्षा में प्रवेश कर रहा था तो ऑनबोर्ड कैमरे ने चांद की पहली तस्वीर कैप्चर की थी। मिशन की जानकारी देते हुए इसरो ने X पोस्ट में चंद्रयान के भेजे मैसेज को लिखा था- मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है।