
रायपुर । प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग में जबरदस्त हलचल है और यह हलचल पदोन्नति में संशोधन के नाम पर हुए बड़े खेल के ऊपर बैठाई गई जांच को लेकर है। जहां एक तरफ इस मामले को लेकर पदोन्नति के खेल से रातो रात करोड़पति बन चुके सूबे के जेडी और लिपिको की नींद हराम है वही वह शिक्षक भी संशय में है जिन्होंने लाखों की रकम लूटाकर पदोन्नति में संशोधन करवाया है और अब बीच मझधार में है। दरअसल प्रदेश में पांचों संभागों में सहायक शिक्षक से शिक्षक और प्रधान पाठक मिडिल स्कूल के पद पर पदोन्नति की गई है और सभी संभागों में जमकर खेला हुआ है। पहले तो पारदर्शिता दिखाने के नाम पर ओपन काउंसलिंग कराई गई वही दूसरी तरफ मामला पहले ही सेट कर लिया गया था और दलाल पहले से ही नियुक्त कर दिए गए थे। यही वजह था कि जिन शिक्षकों को सही जगह नहीं मिली वह दलाल के माध्यम से जेडी और लिपिकों के संपर्क में आए और फिर बड़ा खेल हो गया ।
ऐसा कोई संभाग नहीं है जहां पदोन्नति में संशोधन के नाम पर खेल नहीं खेला गया, जहां इस खेल का समापन हुआ उस संभाग को न्यायधानी कहते हैं और सबसे अधिक अन्याय यही हुआ। यहां तो कई शिक्षकों ने साढ़े 3 लाख रुपए तक की रकम दी है और 2 लाख रुपए तो इसके लिए कॉमन थे, पैसे का बोलबाला ऐसा था की विधायक और सत्ता पक्ष के कैबिनेट दर्जा प्राप्त जनप्रतिनिधियों को भी ऊपर खुलकर शिकायत करनी पड़ी है क्योंकि उनकी भी सुनवाई नहीं हुई, यहां के एक बड़े जनप्रतिनिधि ने खुद सीधे मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी को पूरे मामले की जानकारी दी है और बताया है की किस प्रकार पैसों की बंदरबांट हुई है । एक विधायक ने खुद विधानसभा में इस पर सवाल उठाने की ठानी है और सदन में भी इस पर चर्चा हो सकती है। हालांकि यहां स्थानीय नेता की शिकायत पर जांच तो बैठा दी गई है और कमिश्नर इस मामले की जांच भी करेंगे
होगा कोई बड़ा निर्णय
दरअसल, पदोन्नति में संशोधन के नाम पर जो बड़ा खेल हुआ उसने सरकार की छवि को बड़ा डेंट लगाया है और वह भी चुनावी वर्ष में लोगों ने मजबूरी में पैसे तो दे दिए लेकिन बाहर खूब चर्चा की और अब यह पान ठेलों में होने वाली चर्चा का विषय बन गया है कि पैसा देकर कोई भी मनचाही जगह ली जा सकती है । बिलासपुर में तो यह हाल है कि अक्टूबर में रिटायर होने वाले शिक्षक के स्थान पर प्रत्याशा में पदोन्नति का आदेश थमा दिया गया है जो कि अपने आप में अनोखा मामला है इसी प्रकार जून और जुलाई में रिटायर होने वाले शिक्षकों के स्कूलों में भी प्रत्याशा में शिक्षकों को पदस्थापना में संशोधन करके आदेश थमा दिया गया जो कि सीधे तौर पर डीपीआई के दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है।