
कोरबा। करीबियों पर करम और पार्टी के वफादारों पर सितम, कभी विशाल वट वृक्ष के जैसी ख्याति रखने वाली कांग्रेस की रीति नीति कुछ ऐसी हो चुकी है। बड़े ओहदे पर बैठे दिग्गजों को सिर्फ अपनी रोटी सेंकने से फुर्सत नहीं, जिसके लिए वे पार्टी के समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं का हक मारने से भी नहीं चूकते। भाई भतीजा वाद और करीबियों को उपकृत करने के खेल में पार्टी वाजिब सेवक उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। दूसरी ओर गुटीय राजनीति का हावी होना भी पार्टी में भीतरघात और बिखराव की दशा उत्पन्न कर रहा है। यही वजह है जो पतझड़ शुरू होते ही कोरबा से लेकर राजधानी रायपुर तक छत्तीसगढ़ कांग्रेस के बड़े नेता भी टूटकर खैमा बदल रहे हैं। पार्टी में लगी इस आग की आंच यहां कोरबा में भी महसूस की जा सकती है, जहां सिर्फ पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के कारण ही एक ऐसे ही पार्टी के वफादार खुद को घुटता और पिसता महसूस कर रहे हैं। वे भी कहीं भगवा पर मोहित होकर कांग्रेस को राम राम कर दें, तो ताज्जुब बी होगा।

यहां बात हो रही है पाली-तानाखार के पूर्व विधायक मोहित राम केरकेट्टा की। बताते है कि उन्हें भी बीते विधानसभा चुनाव में जयसिंह अग्रवाल के इशारे पर कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं देकर बागी बनने मजबूर कर दिया था। जहां जयसिंह ने अपनी जीती हुई विधानसभा क्षेत्र में महज 5 माह में ही 35 हजार वोटों से पीछे कर कांग्रेस को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी वहीं इस विधायक ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा साबित करते हुए कांग्रेस के मौजूदा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत की जीत के लिए एड़ी चोटी एक कर दी थी। मोहित ने अपने विधानसभा क्षेत्र पाली-तानाखार में वोटों की बड़ी लीड दिलाई और ज्योत्सना को जीत के मुहाने पर ले आए। कांग्रेस ने उसी मोहित राम केरकेट्टा की टिकट काटकर पार्टी के प्रति वर्षों की उनकी निष्ठा को रौंद दिया। यही वजह है जो कोरबा में कांग्रेस पार्टी के भीतर ही समर्पित कांग्रेसी गुटीय राजनीति का शिकार हो रहा है, यहां कांग्रेस मतलब जयसिंह, जयसिंह मतलब कांग्रेस मतलब कांग्रेस की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलती है। ऐसे में सवाल उठता लाजमी हो जाता है कि क्या इसका खामियाजा आसन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार श्रीमती ज्योत्सना महंत को उठना पड़ेगा? क्या मोहित राम केरकेट्टा भी भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं? छत्तीसगढ़ कांग्रेस का सियासी वातावरण आज यही संभावना को बलवती कर रहा है। जल्द ही इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। चुनावी माहौल में इस तरह की नई सियासी हलचल की बड़ी खबर से अपडेट रहने बने रहें ग्राम यात्रा न्यूज नेटवर्क के साथ।
बड़े किसान नेता, महामंत्री व पूर्व सीएम भूपेश के करीबी शुक्ला ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा
पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी व महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला ने पार्टी ने इस्तीफा दे दिया है। इससे छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़े बिखराव के हालात बन गए हैं। एक के बाद एक नेता और कार्यकर्ता पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं। यह सिलसिला विधानसभा चुनाव परिणाम जारी होने के साथ ही शुरू हो गया था। शुक्ला ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को भेजे अपने इस्तीफा में पार्टी पर विचारधारा से हटने और तुष्टिकरण की दिशा में बढ़ने का आरोप लगाया है। साथ ही पार्टी में पर अपनी उपेक्षा और अपमान का भी आरोप लगाया है। शुक्ला की गिनती बड़े किसान नेताओं में होती है। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद वे आगे क्या करेंगे यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन शनिवार को ही पार्टी के ही पूर्व विधायक चुन्नीलाल साहू और वरिष्ठ नेता डॉ. चोलेश्वर चंद्राकर ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया। साहू अकलतरा सीट से विधायक रहे हैं, जबकि चंद्राकर पार्टी के ओबीसी विभाग के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय बंसल ने भी इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के अनुसार अभी कई नेता पार्टी छोड़ने की कतार में खड़े हैं। इसमें जयसिंह को पसंद नहीं करने वाले नेता पहली लाइन में खड़े है, कारण उनको डॉ चरणदास महंत का समर्थन न मिलना है।