छत्तीसगढ़राजनीतीरोचक तथ्य

आखिरकार जयसिंह अग्रवाल के खास सिपेहसालार को उठा ले गई ईडी, पूछताछ में जयसिंह से जुड़ेगा तार, किस मामले में ईडी ने की है कार्रवाई जानने पढ़िए ये ख़बर…

कोरबा। राजनीति भले ही समाज के उत्थान और जनसेवा का पर्यायवाची माना गया हो, पर सत्ता और रसूख की आड़ लेकर जब राज और नीति के बीच मिलावट का खेल शुरु होता है, तो जनता के हक पर डाका डालने वालों की कतार लग जाती है और यही राजनीति गोरखधंधे का पर्याय बन जाता है। ऐसे ही बड़े और अनगिनत खेल कांग्रेस के बीते शासनकाल में पांच साल चलते रहे, जिसकी आंच अब उन्हीं सफेदपोशों के शीष महल तक पहुंच रही है, जिन्होंने गरीबों की रसोई में अपनी रोटी सेंकने का कारोबार तो किया ही, आपदा को अवसर में बदलकर कोरोना के भयावह संक्रमणकाल को भी कमाई का गोरखधंधा बना लिया। इस फेहरिस्त में पहली पंक्ति का एक नाम कटघोरा के रहने वाले महेश दुहलानी का भी है, जिन्हें पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का काफी करीबी माना जाता है। सरकार बदलते ही सत्ता और रसूख जाता रहा। नगरसेठ की छत्रछाया अब काम नहीं आ रही, इसी कड़ी में ईडी ने दुहलानी को उनके बिलासपुर स्थित बंगले से पूछताछ के लिए उठा लिया है। ईडी की इस कार्यवाही से उन सभी रसूखदार सफेदपोशों की जमात में हड़कंप मचा हुआ है, जिन्होंने मंत्री रहते नगरसेठ के दरबार में न केवल बैठकी लगाई, बल्कि करोड़ों अरबों का वारा-न्यारा किया और डकार तक नहीं ली।

घोटालों का पीछा करते घोटालेबाजों को एक-एक कर बेनकाब कर रही ईडी की टीम ने बिलासपुर के ठिकाने से कटघोरा निवासी महेश दुहलानी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। एक-एक पन्ना खुलने के बाद कड़ी दर कड़ी घोटालों की माला तैयार होगी, तो गला भी सामने होगा, जो नगर सेठ के गले में ही फंसा मिलेगा। इसके बाद करोड़ों-अरबों का वारा न्यारा कर तैयार हुए स्वर्ण महल में जनता के हक को छीनकर लगाई गई सोने की ईंटों का राज भी सामने होगा। पर्वतन निदेशालय के ऑफिशियल स्टेटमेंट में एक बात चौकाने वाली सामने आई है कि बीते कुछ साल में कोरबा जिले में 2 हजार करोड़ रुपए डीएमएफ से खर्च हुए हैं। जिसमें 500 से 600 करोड़ रुपए की कमीशनखोरी सामने आई है। ठेकेदारों व सप्लायरों ने टेण्डर हासिल करने के लिए 25 से 40 प्रतिशत का चढ़ावा अधिकारियों पर लुटाया है। प्याज के छिलकों की तरह अब घोटालों की परत खुलने लगी है और आम जनता भी चाहती है कि परदे के पीछे से डीएमएफ में डाका डालने वाले सफेदपोशों और भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों को बेनकाब होना ही चाहिए। शहर के एक नामचीन दवा विक्रेता और सप्लायर के साथ-साथ एक बड़े होटल व्यवसायी को भी ईडी ने अपनी राडार में रखा है। आपदा में अवसर तलाशने वाले इन चंद लोगों ने अवैध रूप से कमाए गए धन से बड़े पैमाने पर बेशकीमती जमीनों की खरीदी की और प्लॉटिंग कर बेचा जा रहा है। ईडी ने डीएमएफ के घोटाले में अपनी जांच का दायरा बढ़ाया है तो इन्हें संरक्षण देने वाले प्रशासनिक अधिकारी से लेकर फाइल चलाने वाले बाबू तक भी लिस्ट में शामिल हो रहे हैं। 

कोयला-जमीन और राखड़ समेत अनेक जिलों में तमाम फर्जी हथकंडों का सिंडिकेट

कोरबा शहर विधानसभा के पूर्व विधायक, प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के कार्यकाल में करोड़ों की जमीनों के मालिक और जमीन खरीदी-बिक्री के कारोबार में बड़ी दखल रखने वाले दुलानी, भावनानी, बरनवाल, जे पी अग्रवाल , विकास सिंह जैसे खास सिपेहसालारों का पूरा सिंडिकेट शवाब पर रहा। पूरे छत्तीसगढ़ में अगर इन पर केंद्रित कर ईडी के जांच का दायरा बढ़ाया जाए, तो बीते पांच वर्ष का कच्चा-चिट्ठा के साथ परत-दर-परत सारा सच सामने होगा और प्रदेश में हुए अब तक के सबसे बड़े घोटालों और उनके पीछे के नुमाइंदों की चेहरा बेनकाब हो सकता है। सत्ता और ताकत का खुल कर दुरूपयोग करने वालों की उल्टी गिनती सुनी जा सकती है। सूत्र बताते हैं इनके सेडिकेट ने रायगढ़ में लगभग 200 एकड़ से भी ज्यादा शासकीय जमीन को फर्जी वाड़ा कर फर्जी फर्म के नाम रजिस्ट्री कराई, जो एसईसीएल के अर्जन क्षेत्र में आ रहा है। इस मामले में भी करोड़ों-अरबों के मुआवजा का खेल खेला गया है। इसी तरह गोरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में भी 100 एकड़ से भी ज्यादा शासकीय जमीनों को फर्जी तरीके से फर्जी फर्म और नामों पर रजिस्ट्री कराई गई। यही  हाल चांपा जांजगीर, बिलासपुर, शक्ति,में भी खुलकर जमीनों का अफरातफरी किया गया।

इन लोगों के पूरी सिंडीकेट में न सिर्फ डीएमएफ, बल्कि कोयला परिवहन से लेकर राखड़ निपटारे तक, ऐसा कोई ठेका नहीं छोड़ा है, जिसमें छत्तीसगढ़ के खजाने पर सेंध की तरकीब न अपनाई गई हो। बताया जा रहा है कि अब इन सभी के गिरेबान पर दबिश पड़ सकती है, जो ईडी के रडार पर हैं।

वन विभाग, मनरेगा, ट्रायबल, पीएचई जैसे विभागों में मलाई खाने वाले भी झुलसेंगे

सूत्रों के अनुसार ईडी की आंच में जल्द ही कोरबा के कारोबारी झुलसेंगे। अभी केवल सप्लायर को उठाया गया है और आगे लंबी कतार है, जिनकी धरपकड़ के बाद वन विभाग, मनरेगा, ट्रायबल, पीएचई जैसे विभागों में गड़बड़ियों की ढेरों फाइलें खुलती दिखाई देंगी। फिलहाल डीएमएफ में हुए घोटालों को लेकर ईडी की छानबीन बढ़ती जा रही है। ईडी की जांच की आंच में कोरबा जिले के चन्द कारोबारी भी झुलसने वाले हैं। खासकर कोरोना संक्रमणकाल के दौरान आपदा को अवसर में बदलने वाले चुनिन्दा ठेकेदारों, सप्लायरों और व्यापारियों को ईडी ने अपनी राडार पर रखा है। कोरोना संक्रमणकाल के दौरान क्वारंटाईन सेंटर, कोविड हॉस्पिटल का निर्माण से लेकर दवाईयों, किट, बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि की सप्लाई में बेतहाशा घपलेबाजी डीएमएफ के मद में की गई।

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