
बिलासपुर। यस बैंक भिलाई के एक फर्जी खाते से 165 करोड़ रुपए लेनदेन के मामले में मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव अमिताभ जैन के जांच संबंधी शपथ पत्र पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान वादी के अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी और बादशाह प्रसाद सिंह ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि विगत तीन-चार वर्षो से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए जाने के बावजूद अब तक किसी प्रकार की कोई जांच नहीं की गई है।
मुख्य सचिव के शपथ पत्र में बताया गया कि कुछ दस्तावेज ऐसे हैं, जिसे न्यायालय में अंतिम रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है, किंतु सुनवाई के दौरान न्यायालय में दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। दोनों ही आरोपी हितेश चौबे और अनिमेष सिंह फरार हैं। खाते से खरीदी गई बड़ी गाड़ियों और अन्य सामग्रियों की अब तक जब्ती नहीं की गई है।महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि फिलहाल पुलिस जांच चल रही है। यदि आर्थिक अपराध शाखा को यह मामला सौंप दिया जाए तो और उचित रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस जांच और आर्थिक अपराध शाखा की जांच में कोई विशेष फर्क नहीं है। दोनों ही जांच में पुलिस अधिकारियों की प्रमुख भूमिका होती है। इसलिए अनावश्यक मामले को खींचने के बजाय 16 अक्टूबर 2023 तक जो भी जांच पुलिस विभाग करती है, उसकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करें। साथ ही साथ दोनों आरोपी अनिमेष सिंह और हितेश चौबे के विरुद्ध लुक आउट नोटिस जारी करें। दो अलग-अलग एफआईआर होने के बावजूद दोनों ही आरोपी अब तक फरार चल रहे हैं। जांच को यदि उच्च न्यायालय संतोषप्रद नहीं पाता है तो 16 अक्टूबर 2023 को इस मामले की जांच किसी विशेष जांच एजेंसी को सौंप दी जाएगी। महाधिवक्ता सतीश वर्मा ने वादी प्रभुनाथ मिश्रा द्वारा दाखिल किए गए आपराधिक रिट याचिका को खारिज किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले से वादी का कोई लेना देना नहीं है, फिर भी वादी के द्वारा न्यायालय में ऐसी शिकायत करना समझ के परे है। जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस विषय पर कई बार बहस हो चुकी है, यह मामला बहुत बड़ा है जो कि पूरी तरह से न्यायालय के संज्ञान में आ चुका है। इसलिए वादी के आवेदन प्रस्तुत किए जाने के मामले की बहस अब समाप्त हो चुकी है। यह स्पष्ट है कि अपराध घटित हुआ है। बैंक में खाता खोलकर उस खाते से करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ है जिसे स्वयं महाधिवक्ता भी स्वीकार कर रहे है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए जाने के बावजूद पहले तो शासन ने कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो जांच कर रही है जबकि उसने जांच से पूरी तरह इनकार कर दिया। इसलिए ऐसी स्थिति में साधन की जांच 16 अक्टूबर तक पूरी हो जानी चाहिए अन्यथा न्यायालय द्वारा उचित निर्णय किया जाएगा।