न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद विकास सिंह के जमानत में आया बड़ा अपडेट, मिली बेल या जेल जानने के लिए पढ़े पूरी खबर…

कोरबा – आदिवासी महिला से छेड़छाड़ के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजे गए विकास सिंह की जमानत याचिका पर आज बहस हुई। बहस के दौरान जहां बचाव पक्ष के वकील रविन्द्र परासर ने गिरफ्तारी और मामले के पुराने होने की दलील देते जमानत की मांग की तो वहीं पीड़िता के वकील गुंजन तिवारी और संदीप झा ने जमानत का पुरजोर विरोध करते आरोपी विकास सिंह को जमानत देने से केस पर प्रभाव पड़ने के साथ पीड़िता को भी खतरा बताया है। दोनो पक्षों की दलील सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब इस मामले में कल फैसला आएगा जिसके बाद मालूम चलेगा कि विकास सिंह को बेल मिलेगी या उसकी आने वाली और रातें जेल में बीतने वाली है। बता दें कि इससे पहले विकास सिंह की अग्रिम जमानत याचिका 5 सितंबर को ही खारिज हुई थी। बता दे कि इंटक नेता विकास सिंह की प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री के कट्टर समर्थकों में होती है। इंटक नेता विकास सिंह का अपराधों से पुराना नाता है। सियासी सरपरस्ती में विकास के हौसले इस कदर बुलंद होते चले गए कि कानून को उसने ठेंगा दिखाने लगा। रंगदारी, धमकी, रेप जैसे गंभीर मामले दर्ज होने के बाद भी उसकी पहुंच देखकर पुलिस अधिकारियों के हाथ कार्रवाई करने से कांपने लगे। एक बार कलेक्टर ने उसे जिला बदर का नोटिस निकलवाया मगर उस पर अमल करने पर छह महीने लग गए। महिला शिक्षिका से रेप मामले में एसपी उदयकिरण ने हिम्मत दिखाते हुए उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
बहरहाल रेप का यह मामला 2006 का है। विकास सिंह ने दीपका थाना क्षेत्र के एक निजी स्कूल की शिक्षिका के साथ जबरदस्ती बलपूर्वक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था। पीड़िता ने इसकी एफआईआर दीपका थाने में दर्ज करवाई। पर रसूखदार विकास की गिरफ्तारी नहीं हो पाई और उसे अदालत से अग्रिम जमानत मिलने में सफलता हासिल हो गई। पुलिस ने मामले में विवेचना कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया और ट्रायल चलने लगा। इस बीच पीड़िता की शादी हो गई। पीड़िता ने अदालत में चीफ एग्जामिनेशन में भी अपने आरोपो को दोहराया। पर क्रॉस एग्जामिनेशन के समय विकास सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर पीड़िता के पति का फोर व्हीलर गाड़ी में अपहरण कर लिया और उसके साथ जमकर मारपीट करते हुए पीड़िता को धमकी दी कि यदि उसने उसके खिलाफ अदालत में क्रॉस एग्जामिनेशन में बयान दिया तो वह उसके पति की हत्या कर देगा। दबाव में आकर डरी हुई पीड़िता क्रॉस एग्जामिनेशन में अपने बयानों से मुकर गई जिसके चलते वर्ष 2011 में आरोपी विकास सिंह दोषमुक्त हो गया। साथ ही बयान बदलने और झूठी एफआईआर करवाने पर अदालत ने पीड़िता के ऊपर 182, 211 के तहत मुकदमा कायम कर चलाने के निर्देश दिए। यह मामला जेएमएफसी अदालत में 2011 से 2019 तक चला। फिर पीड़िता को दोषी ठहराते हुए झूठी एफआईआर करवाने पर उसे अदालत में 2 वर्ष की सजा सुना दी। पीड़िता ने इसके खिलाफ विशेष न्यायाधीश एक्ट्रोसिटी की अदालत में अपील प्रस्तुत की। अपील पर पीड़िता को राहत प्रदान की गई और उसकी सजा माफी हो गई।
इस बीच पीड़िता को सजा होने से विकास सिंह के हौसले एक बार फिर से बुलंद हो गए। उसे लगा कि पीड़िता को झूठी एफआईआर करवाने पर 2 साल की सजा अदालत ने सुनाई है। जिसके चलते वह दोबारा फिर से एफआईआर दर्ज करवाने की हिम्मत नहीं कर सकेगी और उसने पीड़िता को फिर से परेशान करते हुए धमकाना शुरू कर दिया। वह पीड़िता पर दोबारा संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगा। इसके लिए विकास सिंह ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। पीड़िता के पति व बच्चों को जान से मारने की धमकी देने के साथ ही पीड़िता की आपत्तिजनक फोटो उसके घर के बाहर फेंकवा दिया। साथ ही सोशल मीडिया में वायरल कर बदनाम करने की धमकी भी दी। आरोपी विकास सिंह ने पीड़िता को खुद भी फोन किया और उसे संबंध बनाने के लिए धमकाते हुए पीड़िता के मोबाइल पर उसकी अंतरंग तस्वीरें भेजी। साथ ही दोबारा संबंध नहीं कायम करने पर यह सारी फोटो सोशल मीडिया में वायरल करने की धमकी भी दी।
परेशान पीड़िता वर्ष 2020 में शिकायत करने कोरबा के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जाकर तत्कालीन एडिशनल एसपी उदय किरण से मिली। जिसके बाद दीपका थाने में आरोपी विकास सिंह के खिलाफ धारा 354 (क),509, 506, भादवि व एक्ट्रोसिटी का अपराध वर्ष 2020 में दर्ज हुआ। अपराध दर्ज होने के बाद एक बार फिर विकास सिंह न्यायालय की शरण में गया और कोरोना का फायदा उठा गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया। इस बीच एडिशनल एसपी उदय किरण भी जिले से तबादला होकर चले गए और मामला तीन वर्षों तक पेंडिंग रह गया। 3 साल बाद 2015 बैच के आईपीएस उदय किरण की एक बार फिर कोरबा जिले के एसपी के रूप में वापसी हुई। इधर कुछ हफ्ते पहले हाईकोर्ट ने भी विकास सिंह को दिए गिरफ्तारी पर रोक के आदेश को हटा लिया और 8 हफ्ते में विवेचना पूरी कर चालान अदालत में पेश करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए।
हाईकोर्ट का स्टे वेकेंट होते ही विकास सिंह ने अग्रिम जमानत के लिए पहले कटघोरा न्यायालय में फिर एक्ट्रोसिटी अदालत में अग्रिम जमानत याचिका लगाई। जिस पर विशेष न्यायाधीश डीएल कटकवार ने अग्रिम जमानत याचिका 5 सितंबर को खारिज कर दी। अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद आज आरोपी विकास सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर उसे अदालत में पेश किया। फिर अदालत के निर्देश पर उसे 20 सितंबर तक के न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया गया।
आरोपी विकास सिंह के ऊपर रंगदारी वसूलने का भी आरोप है। बालको प्लांट में एक अन्य प्रदेश की कंपनी टेंडर लेकर काम करने आई हुई थी। जिसके मैनेजर को अपहरण कर अपने दफ्तर में बंधक बना दो दिनों तक मारपीट करने का आरोप विकास सिंह पर लगा था। विकास सिंह के साथियों की करोड़ों रुपए रंगदारी मांगने का ऑडियो भी वायरल हुई थी। इन सबके अलावा आरोपी विकास सिंह को जिला बदर भी किया गया था और एक दर्जन अन्य मामले भी दर्ज हैं।
देखें आपराधिक रिकार्ड…
1– थाना कोतवाली में अपराध क्रमांक 429/95 धारा 323,294,506,341 दर्ज हुआ था।
2– रामपुर चौकी में अपराध क्रमांक 616/98 धारा 186,353 दर्ज हुआ था।
3– कोतवाली थाने में अपराध क्रमांक 638/98 आर्म्स एक्ट दर्ज हुआ था।
4– रामपुर चौकी में 486/99 धारा 323,294,506,341,34 दर्ज हुआ था।
5– कोतवाली थाने में अपराध क्रमांक 1233/03 धारा 323,294,506,342,34 दर्ज हुआ था।
6– कोतवाली थाने में अपराध क्रमांक 297/04 धारा 294,506 दर्ज हुआ था।
7– मानिकपुर चौकी में 377/04 धारा 341,294,506,34 दर्ज हुआ था।
8– दीपका थाने में अपराध क्रमांक 19/06 धारा 376, 506,34 एक्ट्रोसिटी एक्ट का अपराध दर्ज हुआ था।
9– बालको थाने में 341/07 धारा 188,353,332,147,149 दर्ज हुआ था।
10– रामपुर थाने में अपराध क्रमांक 1219/11 धारा 323,294,506,427,34 का अपराध दर्ज हुआ था।
11– दर्री थाने में अपराध क्रमांक 96/14 धारा 325,506,34 दर्ज हुआ था।
12– कोतवाली थाने में अपराध क्रमांक 2/04 में 110 जाफौ की कार्यवाही हुई थी।
3 जून 2022 को विकास सिंह के ऊपर जिला बदर की कार्यवाही की गई थी।