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चंद्रयान-3 की लैंडिंग का 80% सफर पूरा:लैंडर वर्टिकल पोजिशन में आया, धीरे-धीरे रफ्तार घट रही; 6.04 बजे साउथ पोल पर उतरेगा

चंद्रयान-3 की लैंडिंग प्रोसेस शुरू हो गई है। बुधवार शाम 5 बजकर 44 बजे वह निर्धारित समय पहुंच गया है। अब उसे धीरे-धीरे 20 मिनट बाद साउथ पोल पर उतरेगा जाएगा। 6 बजकर 4 मिनट पर पहुंचेगा। मिशन कामयाब रहा, तो भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

चंद्रयान-3 के अपनी अंतिम कक्षा में पहुंचने की प्रोसेस इस तरह पूरी की।
चंद्रयान-3 के अपनी अंतिम कक्षा में पहुंचने की प्रोसेस इस तरह पूरी की।

इसरो ने चंद्रयान को श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया था। 41वें दिन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की प्लानिंग की गई है। इसरो का कहना है कि मिशन के सभी सिस्टम नॉर्मल हैं और उसकी लगातार जांच की जा रही है। लैंडिंग के एक घंटे 50 मिनट बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकलेगा। इतने समय में लैंडिंग की वजह से उड़ने वाली धूल शांत हो जाएगी।

50 साइंटिस्ट की रात आंखों में कटी, कमांड सेंटर में उत्साह-बेचैनी का माहौल
ISRO के बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री एंड कमांड सेंटर (इस्ट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) में 50 से ज्यादा वैज्ञानिक कंप्यूटर पर चंद्रयान-3 से मिल रहे आंकड़ों की रात भर पड़ताल में जुटे रहे। वे लैंडर को इनपुट भेज रहे हैं, ताकि लैंडिंग के समय गलत फैसला लेने की हर गुंजाइश खत्म हो जाए।

ISRO के कमांड सेंटर में वैज्ञानिक चंद्रयान-3 के हर मूवमेंट पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं।
ISRO के कमांड सेंटर में वैज्ञानिक चंद्रयान-3 के हर मूवमेंट पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं।
लैंडिंग के दौरान चंद्रयान-3 की रफ्तार लगातार कम की गई, ताकी सॉफ्ट लैंडिंग हो सके।
लैंडिंग के दौरान चंद्रयान-3 की रफ्तार लगातार कम की गई, ताकी सॉफ्ट लैंडिंग हो सके।

सभी सांकेतिक भाषा में बात कर रहे हैं। कमांड सेंटर में उत्साह-बेचैनी का मिला-जुला माहौल है। ISRO वैज्ञानिक बेंगलुरु स्थित ​​​​ISRO टेलिमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक) और ब्यालालू गांव स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क पर मिल रहे डेटा के अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के जर्मनी स्थित स्टेशन, ऑस्ट्रेलिया और नासा के डीप स्पेस नेटवर्क से रियल टाइम डेटा लेकर वेरिफिकेशन कर रहे हैं।

कार्टून की नजर से…

विक्रम के दो इंजन भी काम नहीं करेंगे तो भी लैंड करेगा चंद्रयान-3
ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था- ‘अगर सब कुछ फेल हो जाता है, अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम होगा।’

उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 के आखिरी 19 मिनट सांसें रोक देने वाले होंगे। लैंडिंग शुरू होते समय गति 6,048 किमी/घंटा होगी। चांद को छूते समय यह 10 किमी/घंटे से भी कम होगी। उतरने के लिए स्थान का चुनाव ISRO कमांड सेंटर से नहीं होगा। लैंडर अपने कंप्यूटर से जगह का चुनाव करेगा।

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