आज है दुनिया के सबसे बड़े टेक कंपनी गूगल के CEO सुंदर पिचाई का जन्मदिन, जानें उनसे जुडी कुछ बेहद ख़ास बातें

नई दिल्ली : भारत में बहुत से ऐसे नौजवान रहे हैं जिन्होंने अपने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। उन्हीं लोगों में एक नाम है सुंदर पिचाई, जो गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ हैं और अपने काम से हर किसी को प्राउड फील कराते हैं। सुंदर पिचाई एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जो इस समय गूगल इंक कंपनी के चीफ एक्जिक्टिव ऑफिसर के पद पर काम करते हैं। भारत में जन्में सुंदर पिचाई को गूगल में काम करते 15 साल से ज्यादा हो गए हैं।
इन सालों में सुंदर पिचाई ने गूगल को कई गुना आगे बढ़ाया है और इस कंपनी में उनका भी बड़ा योगदान रहा है। सुंदर पिचाई अब गूगल के साथ अल्फाबेट के भी सीईओ हैं और इसकी स्थापना साल 2015 में हुई। Alphabet कई अलग-अलग कंपनियों का समूह है। उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात बताने जा रहे हैं।।
10 जून, 1972 को तमिलनाडु के मदुरै शहर में जन्में सुंदर की भारत में ही शुरुआती पढ़ाई हुई। इनके पिता इलेक्ट्रिक इंजीनियर थे और इनकी मां बतौर स्टेनोग्राफर के तौर पर सरकारी नौकरी करती थीं। इनकी 10वीं तक की पढ़ाई जवाहर विद्यालय से हुई और फिर 12वीं इन्होने वाना वानी स्कूल से की। इन्होंने मेटलर्जिकल इंजीनियर विषय में डिग्री भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से पूरी की। इस डिग्री के साथ सुंदर अमेरिका चले गए और यहां पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। यहां से भौतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग में मास्टर्स भी किया। पढ़ाई पूरी करने क बाद सुंदर पिचाई ने एप्लाइड मैटेरियल्स में इंजीनियरिंग और प्रोडक्ट मैनेजर के तौर पर काम किया।
साल 2004 में सुंदर पिचाई ने गूगल ज्वाइन किया जहां वे उत्पाद प्रबंधन, नई खोजों और नए विचारों से संबंधित कामों की जिम्मेदारी ली। इसमें इन्होंने गूगल क्रोम, क्रोम ओ।एस और गूगल ड्राइव जैसे प्रोजेक्ट पर काम किया और फिर इसके साथ ही गूगल मैप्स और जी मेल जैसे महत्वपूर्ण एप्लीकेशन डेवलपमेंट में काम किया।
सुंदर पिचाई ने आई.आई.टी. खड़गपुर में पढ़ने के दौरान अंजलि से दोस्ती की थी। इनके साथ दोस्ती गहरी हुई और पढ़ाई पूरी होने पर दोनों ने शादी कर ली। इन्हें दो बच्चे काव्या बेटी और किरन बेटा है। सुंदर पिचाई को बॉलीवुड फिल्में देखना पसंद है और वे फिल्म इंडस्ट्री में हुई सेलिब्रिटीज की शादियों में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पहुंच जाते हैं। सुंदर पिचाई को अपने भारत पर गर्व है और जब नरेंद्र मोदी अमेरिका जाते हैं तो सुंदर पिचाई उनसे जरूर मिलते हैं।
अब प्वाइंट्स में जाने सुंदर पिचाई के बारे में..
47 साल के सुंदर पिचाई का असली नाम पिचाई सुंदराजन है। सुंदर की बचपन में टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि क्रिकेट में रुचि थी।
सुंदर पिचाई की याद्दाश्त के बारे में बताया जाता है कि उन्हें नंबर्स बहुत जल्दी याद होते हैं। एक रिपोर्ट की मुताबिक इनके घर साल 1984 में लैंडलाइन लगा था और जब कोई इनका नंबर भूल जाता था तो वे सुंदर की याददाश्त का सहारा लेते थे।
सुंदर पिचाई की याददाश्त के कारण ही उन्हें माइक्रोसॉफ्ट से डबल सैलरी की जॉब ऑफर हुई थी। मगर सुंदर ने उनका शुक्रिया अदा करके इस ऑफर को मना कर दिया था।
IIT खड़गपुर में स्टूडेंट के दौरान सुंदर पिचाई की जमकर रैगिंग हो गई थी। रैगर्स इन्हें सुंदी कहकर पुकारते थे क्योंकि सुंदर एक बार में उनकी बात मानकर उनके लिए कुछ भी कर देते थे।
सुंदर पिचाई पढ़ाई के दौरान चेन्नई के दौरान दो कमरों के घर में रहते थे और इंजीनियरिंग करने के बाद इन्हं स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप भी मिली थी। तब उनके घर की हालत इतनी खराब थी कि इनके पिता ने कर्ज लेकर सुंदर की एयर टिकट करवाई थी।
सुंदर पिचाई जब अमेरिका में पढ़ रहे थे तब उनकी शादी हो चुकी थी और उनकी वाइफ अंजलि भारत में ही थीं। सुंदर के पास तब इतने पैसे नहीं होते थे कि वे अपनी पत्नी से बात कर पाएं। ऐसे में उन्हें 6 महीने भी हो जाते थे उनसे बात किए।
Twitter ने साल 2011 में सुंदर को जॉब ऑफर किया था और वो तैयार भी हो गए थे लेकिन गूगल ने नौकरी ना छोड़ने के 305 करोड़ रुपये दिए थे क्योंकि गूगल जानता था कि सुंदर में दम है।
जिस कॉलेज में सुंदर ने पढ़ाई की थी उस कॉलेज के बच्चों के लिए सुंदर पिचाई एक प्रेरणा हैं। आज भी Skype के जरिए यहां के छात्रों से बात करते हैं और उन्हें टिप्स देते रहते हैं।
सुंदर पिचाई गूगल के उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें उभरते बाजार में गूगल को आगे ले जाने के लिए पहचाना जाता है। उन्हें Google Founder Larry Page से भी बेहतर डेवलपर माना जाता है।
अमेरिकी मीडिया पिचाई को लैरी पेज का राइट हैंड मानती है। लैरी पेज जब भी किसी मीटिंग में जाते हैं तो पिचाई भी साथ जाते हैं और बहुत कम बोलना पसंद करते हैं। जबकि उनके बॉस चाहते हैं कि सुंदर बोले लेकिन वे उतना बोलते हैं जितनी की जरूरत होती है।
